The Train... beings death 14
डॉक्टर शीतल ने सभी को चुप रहने के लिए कहा और फिर उन्हें अपनी बातों का मतलब समझाते हुए कहा, "सबसे पहले तो आप सब थोड़ा शांत हो जाइए। चाहो तो थोड़ा पानी पीकर रिलेक्स कर ले फिर मैं पूरी बात आपको विस्तार से समझाती हूं।"
सभी ने एक स्वर में ज़वाब दिया..
"आप मतलब बताएं कि बात क्या थी.. पानी पीना और रिलेक्स करना तो बाद की बात है अभी तो साँस लेना भी मुश्किल हो रहा है।"
"ठीक है फिर सुनो..!!!
"जब हम यहां अंदर आए थे उससे पहले हम सब ने लड़की की रिपोर्ट्स देखी थी.. और यहां अंदर आते ही मैंने उसे एग्जामिन किया था। तब उसके पेट में स्थित भ्रूण की डेवलपमेंट मैंने देखी थी। फिर उसके बाद वो अजीब जीव यहां आया और लड़की के साथ क्या हुआ सभी ने देखा ही था।" बोलते हुए डॉक्टर शीतल कुछ देर के लिए चुप हुई।
सभी सांसे रोके हुए शीतल की बातें सुन रहे थे.. शीतल का ऐसे बोलते हुए बीच में रुकना सभी को अखर गया था। सभी को शीतल पर गुस्सा आने लगा था। ऐसे टेंशन वाले टाइम में भी उन्हें लगता था कि डॉक्टर शीतल फुटेज खा रही थी। इसी कारण से पूरी बात उन्हें एक साथ नहीं बता रही थी।
पर शीतल सब कुछ सोच समझकर बोल रही थी ताकि कोई भी व्यक्ति ये ना बोले के डॉक्टर होने के बाद भी कुछ भी बोल रही थी बिना सोचे समझे.. या बिना किसी साइन्टिफिक रीजन के कुछ भी बोल रही थी।
शीतल ने सभी को देखा तो उन्हें खुद को घूरता देख वो एक मिनट के लिए सकपका गई थी। जल्दी ही अपने आपको संयत कर के शीतल ने गंभीर लहजे में कहा, "मैं जानती हूं कि आपको लगता है कि मैं कुछ भी नहीं बताकर आप लोगों को परेशान करने की कोशिश कर रही हूं.. लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। दरअसल बात ये है कि मैं खुद पूरी सिचुएशन को समझने की कोशिश कर रही हूं.. और सबसे बड़ी बात तो य़ह है कि मैं जो कहने जा रही हूं वो हो सकता है कि मेरा अनुमान हो.. पर एक बार ट्राय करने में कोई हर्ज भी नहीं है। वो भी तब जब हमारे पास और कोई ऑप्शन ना हो।"
"देखो डॉक्टर..!! आप बातों की डॉक्टर तो है नहीं.. तो बाते बनाना छोडकर आप अपने काम पर फोकस करें और जो भी बताना चाहती हैं साफ साफ बताएं। पहले से ही मुसीबत कम नहीं है जो आप इतनी क्रिटिकल कंडीशन में पहेलियाँ बुझाने का काम दे रही हैं।" शीतल को बीच में टोकते हुए अधीरता से नीरज ने कहा।
"बिहेव नीरज..!!" इंस्पेक्टर कदंब ने सख्त लहजे में टोकते हुए नीरज को घूरते हुए कहा।
"इस कंडीशन में डॉक्टर भी नहीं समझ पा रही है कि जो भी वो कहना चाहती हैं.. वो ठीक रहेगा कि नहीं। और तो और क्या पता बात सुनने के बाद भी तुम ऐसे ही बोलो "व्हाट नाॅनसेन्स डॉक्टर..! आप डॉक्टर होते हुए भी ऐसी बात सोच भी कैसे सकती है।"" नीरज गर्दन झुकाकर उनकी बातें सुन रहा था और अब वो बहुत ही ज्यादा शांत भी नजर आ रहा था।
शीतल के चेहरे पर कृतज्ञता के भाव थे और वो बहुत ही ज्यादा अपने आपको रिलेक्स्ड फील कर रही थी। उसकी आँखों में कदंब के लिए कुछ सोफ्ट इमोशंस दिख रहे थे.. जिनसे दोनों ही बेख़बर थे। कुछ तो था जो उन्हें करीब ला रहा था।
शीतल ने एक लंबी साँस लेकर बोलना शुरू किया।
"एक्चुअली मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या बोलूं इसलिए सॉरी..एंड थैंक्स इंस्पेक्टर..! थैंक्स फाॅर योर सपोर्ट एंड थैंक्स फाॅर अंडरस्टेंडिंग ।" शीतल की आँखों में कुछ अनकहे से भाव थे.. जो कदंब को भी शीतल की ओर आकर्षित कर रहे थे।
"हमने थोड़ी देर पहले उस जानवर के आने के पहले और बाद में दोनों ही बार लड़की को एग्जामिन किया था..और मुझे क्या लगता है कि अगर उस जानवर के कोई टेक्नीक फॉलो करने पर उस भ्रूण की ग्रोथ बढ़ सकती है तो उसके ऑपोजिट टेक्नीक फॉलो करने पर उसकी ग्रोथ को कम भी तो किया ही जा सकता होगा।"
शीतल की बात सुनकर सभी के मुँह खुले के खुले रह गए थे। जो भी डॉक्टर शीतल ने कहा था उसके होने के चांसेज़ बहुत ही ज्यादा थे और अगर ये हो जाता तो मुसीबत को टाला ना जा सकता तो उसे समाधान ना मिलने तक आने से रोका तो जा ही सकता था।
सभी को डॉक्टर शीतल का सुझाव बहुत ही ज्यादा पसंद आया था.. और सभी उसकी बात से सहमत भी थे।
सभी ने एक दूसरे को देखते हुए यह कहा, "डॉक्टर..!! आपका आइडिया तो काफी अच्छा है और उसे ट्राय करने में कोई नुकसान भी नहीं है। और वैसे भी कल तक तो रिपोर्ट्स भी मिल जाएंगी और हमें आगे का रास्ता भी क्लियर हो जाएगा।" रोहित ने उस रूम में एंट्री करते हुए कहा तो सभी एकदम से रोहित की तरफ घूम गए।
रोहित का जवाब सुनकर बात तो समझ आ रही थी कदंब और नीरज को.. लेकिन कुछ कन्फ्यूजन भी थे.. जो वो लोग उसी टाइम क्लियर करना चाहते थे।
"वो सब तो ठीक है.. पर ये सबकुछ होगा कैसे..?? करेंगे क्या और क्या ये इफेक्टिव होगा?? मेरा कहने का मतलब है कि क्या ये तरीका काम करेगा..??" कदंब ने सारी बात साफ़ करने की गरज से पूछा। क्योंकि इस लड़की के परिवार को भी संतोषजनक जवाब देना था.. जो जब से लड़की को एडमिट किया था.. तभी से कॉल कर कर के परेशान हो रहे थे।
डॉक्टर शीतल ने इत्मीनान से अपनी बात समझाते हुए कहा, "अभी हमने महसूस किया था कि उस जानवर ने एक इलैक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड तैयार किया था.. ताकि वो उस बच्चे की ग्रोथ रेट बढ़ा कर.. उसे जल्दी ही दुनिया मे ला सके। वैसे ये इस तरह का पहला केस है.. और शायद उसके लिए भी टेस्ट केस होगा। वो भी शायद हमारे ऊपर एक्सपेरिमेंट ही कर रहा होगा कि हमारी दुनिया को क़ब्ज़ा करने के लिए.. ये प्रोसेस ठीक रहेगा या नहीं। और अगर वो गलती से भी सक्सेस हो गया तो हमारे लिए मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ जाएंगी।"
सभी दम साधे शीतल की बातें सुन रहे थे और उसकी बात से एग्री भी थे। जो कुछ भी हो रहा था उसका कोई भी समाधान किसी के भी पास नहीं था.. तो कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर रहा था। सभी की उम्मीद बस इसी पर थी कि जो भी कुछ डॉक्टर शीतल बोल रही थी वो उपाय बस किसी तरह काम कर जाए।
"हम भी उसी तरह का इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड तैयार करे और फ्रिक्वेंसी एडजस्ट कर के उसके रिजल्ट्स पर वर्क करें। हो सकता है कि ये उपाय काम कर जाए.. और अगर कर गया तो हमारे लिए एक्स्ट्रा बेनिफिट ही होगा। वैसे भी कल परसों तक उस जानवर पर रिसर्च के रिजल्ट्स मिल ही जायेंगे। हमारा काम तो कम ही होगा।" डॉक्टर शीतल ने पूरे आत्मविश्वास से कहा।
इस एक्सपेरिमेंट पर सभी की सहमति बन गई थी.. कि यही एकमात्र और उपयुक्त उपाय था।
डॉक्टर शीतल ने रोहित को सभी जरूरी इंस्ट्रक्शन्स देते हुए कहा, "रोहित..!! जल्दी से जल्दी इस एक्सपेरिमेंट को स्टार्ट करने के लिए जरूरी सभी तैयारियां शुरू कर दो। सभी मशीन्स यही पर एडजस्ट करो और सीरम वालों को तो उस सैम्पल की टेस्टिंग में रख दो और बाकी स्टाफ के तीन पार्ट्स कर दो। एक को सीरम वालों की हेल्प को भेज दो.. दूसरे को यहीं के मैनेजमेंट में रख दो और तीसरे हिस्से के असिस्टेंट्स को यहां इस लड़की की देख रेख के लिए अपोइंट कर दो।"
"जी मैडम..!!" बोलकर रोहित तेजी से बाहर निकल गया।
जल्दी ही एक्सपेरिमेंट के लिए तैयारियां जोरों से शुरू हो गई। आठ से दस लोग तेजी से सभी मशीन्स को असेंबल करने में लगे हुए थे। जल्दी ही एक मिरर के जार को असेंबल कर दिया जिसमें बहुत से इलेक्ट्रिक पावर के वायर लगे हुए थे जो उस जार में इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड पैदा कर सकते थे। पास ही में बहुत सी मशीन्स थी जो मैग्नेटिक फील्ड मेजरिंग, ऑक्सीजन लेवल मैनेजमेंट, पल्स और बाकी जरूरी बॉडी की मॉनिटरिंग करने के लिए थी। साथ ही साथ कुछ मेडिकल इमरजेंसी के लिए एक्स्ट्रा केयर मेडिकल स्टाफ का भी अरेंजमेंट कर रखा था। सभी को अंदाजा था कि इस पूरे प्रॉसेस में उस लड़की की जान की कोई जिम्मेदारी नहीं थी।
लगभग दो घंटे के बाद उस लड़की को ठीक ठाक कर के उस मिरर जार में लिटा दिया और धीरे-धीरे मशीन्स ऑन कर दी गई। अल्ट्रासाउंड मशीन्स उसके पेट पर एडजस्ट कर दी गई जो पल पल उसके भ्रूण में होने वाले चेन्जेज् को इंडिकेट करती रहे।
जल्दी ही मशीन स्टार्ट कर दी गई.. धीरे-धीरे एक इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड बन कर तैयार हो गया जिसकी फ्रिक्वेंसी स्टार्टिग में लो ही रखी गई थी। उस लो फ्रिक्वेंसी का उसपर कोई भी असर नहीं हो रहा था। पंद्रह मिनट के बाद भी कोई असर ना दिखने पर थोड़ी सी फ्रिक्वेंसी बढ़ाई गई और उससे होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखी जा रही थी।
लगभग 3 घंटों तक यही प्रोसेस चलता रहा.. फ्रिक्वेंसी बढ़ाते रहे पर कोई भी असर नहीं पड़ा। सभी लोग थक हार कर इस एक्सपेरिमेंट को बंद करने का मानस बना चुके थे। डॉक्टर शीतल ने अभी भी हार नहीं मानी थी.. उसे अपने अनुभव पर विश्वास था कि कोई ना कोई रिजल्ट्स डेफिनेटली दिखेंगे। हो सकता था कि थोड़ा देर से दिखाई दे.. पर असर तो शत प्रतिशत पड़ेगा ही।
पूरी की पूरी रात ही एक्सपेरिमेंट के सक्सेस होने के इंतजार में बीत गई थी पर अभी तक कोई भी पाॅजिटिव रिजल्ट नहीं दिखाई दिया था। डॉक्टर शीतल लगातार उसपर एक्सपेरिमेंट किए जा रही थी और सभी का नतीज़ा सिफर ही निकला था। सभी लोग झुंझला उठे थे केवल डॉक्टर शीतल को छोड़कर।
डॉक्टर शीतल ने सभी मशीन्स को कुछ देर के लिए वैसे ही छोड़ दिया और कुछ देर आंखे बंद कर के कुछ ध्यान में खो गई। शीतल ने सभी के लिए कॉफी मंगवाई और सभी को थोड़ी देर रेस्ट करने को कहकर खुद भी आंखे बंद कर के गहन चिंतन करने लगी।
आधे घण्टे तक सब कुछ बिल्कुल शांत था वहां.. बस कुछ मशीनों के बीप की आवाज बीच बीच में आकर उस नीरवता को भंग कर रही थी। सभी आराम करने के साथ-साथ शीतल के चेहरे पर नज़र रखे हुए थे और पल पल उसके चेहरे पर आते जाते भावों पर उनकी पैनी दृष्टि थी।
लगभग पंद्रह मिनट के बाद अचानक से सभी को शीतल के चेहरे पर एक जंग जितने वाली मुस्कान दिखाई दी। उन सभी लोगों को बहुत ही अजीब सी लगी वो मुस्कान वो भी इस समय जब कुछ भी ठीक नहीं हो रहा था। सभी कौतुहल से शीतल की तरफ देख रहे थे। पांच और मिनट बीतने के बाद डॉक्टर शीतल ने आंखे खोली.. अभी भी उसके चेहरे पर वहीं मुस्कान थी जो कुछ देर पहले थी।
डॉक्टर शीतल उठी और उन मशीन्स के पास जाकर उनकी सेटिंग चैक की.. कुछ देर अच्छे से समझने के बाद शीतल के हाथ तेजी से इधर उधर चलने लगे। सभी असिस्टेंट्स डॉक्टर शीतल को ही देख रहे थे.. साथ ही उन चेंजेज पर भी उनकी नजर थी। सभी का पूरा ध्यान बस शीतल की तरफ ही था।
थोड़ी देर के बाद मशीन्स से एक बीप की आवाज आने लगी। सभी का ध्यान उस बीप की तरफ गया। मशीन की आवाज आते ही थोड़ी देर में मशीन पर कुछ इमेज दिखने लगी थी।
सोनोग्राफी मशीन में कुछ इमेज दिखाई दे रही थी.. उनके हिसाब से कुछ मूविंग दिख रहा था। मूवमेंट तेज तो कभी बहुत धीरे हो रही थी। यहां तक कि कभी वो बहुत ही बड़ा हो जाता तो कभी बहुत ही छोटा हो जाता था।
सभी के चेहरों पर कौतुहल के भाव थे.. सभी अचंभित से कभी मशीन को.. कभी उस लड़की को तो कभी डॉक्टर शीतल के चेहरे को देख रहे थे।
डॉक्टर शीतल जिसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी.. और ढेर सारा आत्मविश्वास भी। जो उन्हें किन्ही भी विकट परिस्थितियों में जीत जाने का विश्वास दिला रहा था। ये कुछ कुछ ऐसा था जैसे किसी बच्चे को खिलाते हुए उसके परिजन हवा में उछाल देते हैं और बच्चा इसपर खिलखिला उठता है.. ये वही विश्वास है। उस स्थिती में बच्चा जनता है कि वो गिर सकता है.. उसे चोट लग सकती हैं लेकिन ये भी पक्का विश्वास है कि जिसने भी उसे उछाला है वो किसी भी कीमत पर उसे गिरने नहीं देगा। यही विश्वास अभी डॉक्टर शीतल की आँखों में भी दिखाई दे रहा था।
इस समय डॉक्टर शीतल को बहुत ही ज्यादा खुशी हो रही थी कि अब शायद सभी उसकी बातों पर विश्वास करें के उन परिस्थितियों में उस अनोखे जीव के भ्रूण पर कोई प्रभाव अवश्य पड़ेगा।
थोड़ी देर बाद उस भ्रूण में हुए परिवर्तनों का प्रभाव भी दिखाई देने लगा था। लड़की के शरीर से अब पीत आभा निकल रही थी। और तो और लड़की के पेट से विचित्र सी आवाजें भी आने लगी थी।
"चिट..चूं... चिट... चूं... चिटाक...!!!"
सभी उन आवाजों से डर गए थे.. ये आवाजें कुछ कुछ वैसी ही थी जैसी 1 दिन पहले उस जीव के इसी रूम में आने पर हुई थी। सभी अब हैरान परेशान से डॉक्टर शीतल को घूर रहे थे। उन्हें अब पक्का विश्वास हो गया था कि डॉक्टर शीतल का किया गया एक्सपेरिमेंट उन सभी के लिए फेल हो गया था और उस जीव के लिए वो एक्सपेरिमेंट एक बहुत ही बड़ा मददगार बन गया था।
माहौल लगभग वैसा ही हो गया था कि मानो अभी उस अजीब जीव के बच्चे के जन्म लेने का समय हो गया था। अब सभी डॉक्टर शीतल पर गुस्सा हो रहे थे.. इनमे इंस्पेक्टर कदंब और नीरज भी थे। इंस्पेक्टर कदंब थोड़े से शांत दिख रहे थे जबकि नीरज बहुत तेज गुस्से में दिखाई दे रहा था।
डॉक्टर शीतल के चेहरे पर अभी भी वही उनकी सबसे बेहतरीन मुस्कान थी। सभी को लगने लगा था कि शीतल अब सभी के विनाश के लिए काम कर रही थी।
एकाएक जोरदार आवाज से सभी का ध्यान शीतल से हट कर दूसरी ओर चला गया। ये आवाज एक मशीन से आई थी जो कि प्रेशर को बर्दाश्त नहीं कर पाई और जिसके कारण शॉट सर्किट हो गया था।
तभी एक और आवाज ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। वो आवाज थी उस बच्ची के चिल्लाने की...
आऽऽऽऽऽऽऽऽऽ......!!!!!!!!
Abhinav ji
05-Apr-2022 09:32 AM
Very nice
Reply
Simran Bhagat
26-Mar-2022 09:14 PM
Nice
Reply
Aalhadini
27-Mar-2022 02:12 PM
Thanks🙏
Reply
Punam verma
26-Mar-2022 05:52 PM
Bahut hi jabardast raha ye part bhi
Reply
Aalhadini
27-Mar-2022 02:12 PM
Shukriya punam ji 🙏
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